कालसर्प दोष
कालसर्प दोष के लक्षण : कालसर्प दोष में ऐसा क्या है? कि लोग आज भी डरे हुए हैं।कालसर्प दोष को लेकर हर व्यक्ति कोई ना कोई भ्रम में अवश्य है कि यह क्या हैऔर इसका निवारणकैसे किया जा सकता है ? यह शुभ है याअशुभ है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसारकिसी भी मनुष्य की कुंडली में यदि सूर्य ,चंद्रमा, मंगल, शनि, बुध, शुक्र एवं बृहस्पति सभी प्रमुख ग्रह राहु – केतु के बीच आ जाते हैं तो यहस्थिति कालसर्प योग उत्पन्न करती है और इससे उत्पन्न दोष के कारण ही यह मनुष्य के जीवन में कालसर्प दोष लाता है।जिसके कारण मनुष्य जीवन में यह विशेष प्रभाव डालते हैंऔरउसके जीवन में यहअनेकों परेशानियां लाता है। ऐसा कहा जाता है कि कालसर्प योग यह जातक की कुंडली का एक ऐसा योग है जो कि उसके पूर्व जन्म के जघन्य अपराध के फलस्वरुप या शाप के फलस्वरुप उसकी कुंडली में दिखता है।
Read this information in English. Click here.
जन्म कुंडली में कालसर्प दोष
कालसर्प योग कुंडली में ग्रहों की स्थिति एवं राशि के आधार पर मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं। जो कि निम्न प्रकार से हैं :-
- अनंत कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकी कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पद्म कालसर्प योग
- महापदम कालसर्प योग
- तक्षक कालसर्प योग
- कर्कोटक कालसर्प योग
- शंख चूड़ कालसर्प योग
- घातक कालसर्प योग
- विषधार कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प योग
कालसर्प दोष के लक्षण
कालसर्प दोष के अनेकों लक्षण हैं सामान्य यह लक्षण कुछ इस प्रकार के हैं :-
- यदि कुंडली में कालसर्प योग होता है तोजातककितनी भी मेहनत कर ले उसको मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता है।
- कारोबार फलीभूत नहीं होता है ,व्यवधान उत्पन्न होते हैं, सौदे टूटने लगते हैं तथा कारोबार में हानि होती है।साथ ही साथधनकीभी काफी हानि होती रहती है।
- बार-बार कोई न कोई दिक्कत का सामना उसे करना पड़ता है।
- जिंदगी में कोई ना कोई काला धब्बा एक बार अवश्य लगता है।
- उस आदमी को संतान प्राप्ति की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
- विवाह में भी काफी दिक्कतें आती हैं ,यदि विवाह में विलंब होता है तो यह भी कालसर्प दोष का एकक्षण है।
- वैवाहिक जीवन में अनेकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं जिस कारण से वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो जाता है और तलाक तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- वह आदमी हमेशा बीमारियों से घिरा रहता है और रोग बार-बार लगा रहता है।
- यदि कुंडली में कालसर्प योग है तो पीड़ित व्यक्ति को मृत्यु होने के सपने अधिक आते हैं। अक्सर घर के व्यक्तियों के मृत्यु के सपने आते हैं।
- सोते समय ऐसा अनुभव होता है जैसा कोई उसे मारने की कोशिश कर रहा हो। उसे सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देते हैं।
- कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है।
- कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति, बीमारी में या किसी भी परेशानी में अपने आप को अकेला महसूस करता है।
- पीड़ित व्यक्ति को रात को सोते समय सर्प के सपने आते हैं और अपने शरीर पर सांप लिपटे हुए दिखाई देते हैं।
- हमेशा घबराहट महसूस होती है और वह हमेशा बेचैन रहता है। अकेलेपन एवं सुनसान स्थान पर जाने में उसे डर लगता है।
- पढाई – लिखाई में रुकावट होना या पढ़ाई में मन न लगना , पढ़ाई बीच में ही छूट जाना।किसी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक, और शारीरिक बाधा उत्पन्नहोने के कारण में पढाई – लिखाई में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
- बाल्यावस्था में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो जाती है , दुर्घटना होने लगती है , चोट लग जाती हैं बीमारियां होने लगती हैं यह भी कालसर्प दोष का एक लक्षण है।
- घर में घर के सदस्यों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं परंतु किसी भी बीमारी का पता नहीं चलता है।आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
- घर में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होती है रोकनेपड़ते हैं।
- हमेशा घर परिवार में क्लेश का माहौल बना हुआ रहता है और पारिवारिक सौहार्द खत्महो जाता है।
- घर के किसी भी सदस्य पर भूत–प्रेत का साया या घर केसभी सदस्य चिड़चड़े स्वभाव के हो जाते हैं।
- जातक की कुंडली में कालसर्प दोष के कारण जातककेमाता–पिता को कष्ट उत्पन्न होता है।
कालसर्प दोष के उपाय
कालसर्प योग दोष की पूजा यदि त्रंबकेश्वर मंदिर में की जाए तो वह सर्वोत्तम है।कालसर्प दोष शांति पूजन कुछ विशेष तिथियों में किया जाता है।इसके लिए आप त्रंबकेश्वर मंदिर में पंडितया विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं।
आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करेंतथा राहु एवं केतु के मंत्रों काप्रतिदिन108जाप करें।
राहु के मंत्र– ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।
केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।
कालसर्प योग दोष की पूजा सोमवार के दिन या सोमवती अमावस्या को की जाती है यह दिन श्रेष्ठ माना गया है।शीतकाल में सर्प योग यंत्र के आगे सरसों का दीपक जलाकर “ओम नमः शिवाय” मंत्र का 21 हजार बार जाप करें।इससे कालसर्प दोष के प्रभाव में कमी आती है।
प्रतिदिनभगवान श्री कृष्ण का पूजन करें तथा “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
प्रतिदिनशिवलिंग पर जल चढ़ाएं, भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें तथा सोलह सोमवार को व्रत करें
नाग पंचमी को नागों की पूजा अर्चना करें।
श्रावण मास में 30 दिनों तक भगवान महादेव का जलाभिषेक करें। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाए, दुग्ध अभिषेक करें। सोने चांदी के या तांबे के बने हुए नाग नागिन के जोड़े को तांबे के छोटे से लोटे में रखकर दूध से स्नान कराएं। तत्पश्चात इन्हें भगवान शिव को अर्पित कर दें।
एक नारियल लीजिए और इसमें एक छोटा सा छेद कर इसमें सात प्रकार के अनाज डालकर किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कीजिए।एक सर्प आकारकी अंगूठी विधिवत पूजाकर दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कीजिए।
One response to “कालसर्प दोष के लक्षण”
कुंडली में लग्न में केतु तथा सप्तम भाव में राहु है बाकी ग्रह राहु केतु के बीच के भावों में है सिर्फ शनि ही बाहर एकादश भाव मैं है। क्या यहां कालसर्प योग बनता है?