कालसर्प दोष चार्ट : कालसर्प दोष किसी भी मनुष्य की कुंडली में उत्पन्न ग्रहों की वह स्थिति है जिसके कारण मनुष्य जीवन में अनेकों परेशानियां आती हैं और जीवन में यह विशेष प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी कुंडली में सूर्य ,चंद्रमा, मंगल, शनि, बुध, शुक्र एवं बृहस्पति सभी प्रमुख ग्रह राहु – केतु के बीच आ जाते हैं तो यह कालसर्प योग उत्पन्न करता है और इससे उत्पन्न दोष के कारणही यह मनुष्य के जीवन में कालसर्प दोष लाता है।
यह योग जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में होता है तो वह उस व्यक्ति के जीवन में मुख्यतः विपरीत प्रभाव डालते हैं इन्हीं राहु एवं केतु के कारण उस मनुष्य को किसी भी क्षेत्र में चाहे वह प्रेम हो, धन हो , पारिवारिक सुख हो ‘विवाह हो या व्यवसाय हो आदि में असफलता ही प्राप्त होती है।
कालसर्प योग 12 राशियों के कारण मुख्यतः 12 प्रकार के पाए जाते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कालसर्प योग है या नहीं और यदि है तो वह कौन सा काल सर्प योग है तो इसके लिए यहां पर हम कुछ कालसर्प योग के कालसर्प दोष चार्ट उपलब्ध करवा रहे हैं। हां आप अपनी कुंडली एक कागज में बनाकर इस कालसर्प दोष चार्ट में उपलब्ध चित्रों के साथ उसका मिलान कर सकते हैं।
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अनंत कालसर्प दोष:-
जब कुंडली में राहु लग्न में केतु सप्तम भाव में होता है और उसके बीच में सारे ग्रह होते हैं तो यह कालसर्प योग अनंत कालसर्प योग कहलाता है। ऐसे व्यक्तियों को हमेशा धोखे की आशंका एवं मानसिक तनाव की स्थिति बनी रहती है। इस योग के कारण मनुष्य को शारीरिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
कुलिक कालसर्प योग:-
जब कुंडली में राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में होता है तथा अन्य सभी ग्रह इसके बीच में होते हैं तो यह योग कुलिक कालसर्प योग कहलाता है। इस योग के बनने के कारण व्यक्ति की विद्यार्जन की क्षमता कम हो जाती है वैवाहिक जीवन भी सामान्य सा नहीं रहता है और आर्थिक स्थिति तंग होने लगती है| संतान सुख में बाधा आती है।
वासुकी कालसर्प योग:-
जब कुंडली में राहु तीसरे घर में तथा केतु नवम स्थान में रहता है तथा अन्य ग्रह इन के मध्य आ जाते हैं तो यह योग वासुकी कालसर्प योग कहलाता है। जिस मनुष्य की कुंडली में यह दोष उत्पन्न होता है वह अपने भाई-बहनों से परेशान रहता है परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं | उसे प्रायः अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों से धोखा खाने का भय बना रहता है।
शंखपाल कालसर्प योग:-
जब कभी कुंडली में राहु चौथे स्थान में तथा केतु दशम स्थान में हो और अन्य ग्रह इनके बीच हो तो यह योग शंखपाल कालसर्प योग कहलाता है। इस योग से उत्पन्न दोष के कारण वह व्यक्ति बीमार रहने लगता है इस दोष का मुख्यतः प्रभाव उसके माता पिता के स्वास्थ्य पर पड़ता हैऔर ऐसे व्यक्ति का अपने माता पिता एवं परिवार से विवाद उत्पन्न हो जाता है।
पद्म कालसर्प योग:-
जब कुंडली में राहु पंचम तथा केतु एक आदर्श यानी ग्यारहवें भाव में हो तथा अन्य ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य में हो, तो यह पद्म कालसर्प योग की स्थिति उत्पन्न करता है। इस दोष के कारण प्रायः संतानोत्पत्ति में परेशानी होती है। इस दोष के कारण उस व्यक्ति को आर्थिक रूप से संकट का सामना करना पड़ता है। व्यवसाय में अचानक नुकसान उठाना पड़ता है तथा गुप्त शत्रु भी उस व्यक्ति के उत्पन्न हो जाते हैं। पद प्रतिष्ठा व्यवहार आचरण अच्छा होने के बावजूद भी वह व्यक्ति को अपयश प्राप्त करता है|
महापदम कालसर्प दोष चार्ट:-
जब कुंडली में राहु छठे भाव में व केतु बारहवेंघर में विद्यमान रहते हैं तथा अन्य ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में अव्यवस्थित रहते हैं तो यह योग महापद्म कालसर्प योग उत्पन्न करता है। इस स्थिति के कारण व्यक्ति अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है विदेशों से व्यापार कर लाभ अर्जित करता है लेकिन उसे मन मेंगृह शांति का बोध नहीं होता है। ऐसे व्यक्तियों को मानसिक तनाव हमेशा बना रहता है तथा प्रत्येक कामों में अड़चन उत्पन्न होती रहती हैं। इस प्रकार के कुंडली के कारण व्यक्ति या तो धन ही अर्जित कर सकता है या फिर अन्य सुख। दोनों का विलय नहीं हो पाता है।
तक्षक कालसर्प योग:-
जब केतु लग्न में हो तथा राहु सप्तम भाव में हो तो यह स्थिति तक्षक कालसर्प योग उत्पन्न करती है। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने पैतृक संपत्ति का लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है या तो उसे संपत्ति प्राप्त नहीं होती हैयदि किसी तरह से प्राप्त हो गई तो वह उसे बर्बाद कर देता है। इस योग के कारण व्यक्ति को विवाह से संबंधित परेशानियां उत्पन्न होती हैं। या तो उस व्यक्ति का विवाह नहीं हो पाता है यदि वह विवाह होता है तो वह वैवाहिक जीवन का सुख लंबे समय तक नहीं ले सकता । उसे उसकी पत्नी त्याग देती है।
कर्कोटक कालसर्प योग:-
जब किसी मनुष्य की कुंडली में केतु दूसरे भाव में तथा राहु अष्टम भाव में होता है,यह दोनों ग्रह अन्य ग्रहों के ऊपर पूरी तरह से अपना प्रभाव डाल लेते हैं।यह योग कर्कोटक कालसर्प योग कहलाता है।इस योग के कारण पीड़ित व्यक्ति के जीवन में , व्यवसाय में अड़चन , नौकरी मिलने में या पदोन्नति में अनेकों परेशानियां आती हैं। कठिन परिश्रम करने के पश्चात भी उस व्यक्ति को उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। व्यावहारिक जीवन में वह व्यक्ति अत्यंत चिड़चिड़ा तथा छोटे-छोटे झगड़ों में पड़ने वाला हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु का भय सदैव बना रहता है।
शंखचूड़ कालसर्प योग:-
जब कुंडली में केतु तीसरे भाव में वह राहु सप्तम भाव में होता है तथा अन्य ग्रह इन के मध्य में होते हैं तो यह योग शंखचूड़ कालसर्प योग कहलाता है। इस योग के कारण पीड़ित व्यक्ति भाग्योदय होने में अनेकों अड़चन आ जाती हैं वह व्यक्ति छोटी-छोटी खुशियों के लिए तरसने लगता है। पढ़ाई – लिखाई, नौकरी, पदोन्नति से वह वंचित रहता है।
घातक कालसर्प योग :-
जब केतु चतुर्थ स्थान में तथा राहु दशम स्थान में होता है तो यह योग घातक कालसर्प योग बनाता है। इस योग से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि उस व्यक्ति को अपने पिता का विछोह झेलना पड़ता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति को पैतृक संपत्ति जल्दी प्राप्त नहीं होती है। वैवाहिक जीवन में तनाव बना रहता है और कर्ज़ भी अत्यधिक बढ़ता है। ऐसे व्यक्तिकी निर्णय लेने की क्षमता क्षीण हो जाती है। मानसिक शांति की प्राप्ति नहीं होती है।वह व्यक्ति अवसाद से ग्रसित हो जाता है। कई प्रकार की कानूनी झमेलों में भी पड़ सकता है।
विषधार कालसर्प योग :-
जब कुंडली में केतु पंचम एवं राहु ग्यारहवें भाव में विद्यमान रहता है तो यह स्थिति विषधार कालसर्प योग कहलाती है। इस योग के कारण पीड़ित व्यक्ति के उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होती है। स्मरण शक्ति का कम होती है। जीवन में स्थिरता नहीं होती है ।वह यात्राओं में जीवन व्यतीत करता है। उसे उसके भाई दुश्मन की तरह समझते हैं तथा उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते रहते हैं।
शेषनाग कालसर्प योग:-
जब कुंडली में केतु छठे एवं राहु बारहवें भाव में होता है वह अन्य ग्रह इन के मध्य में आ जाते हैं तो यह योग शेषनाग कालसर्प योग की स्थिति बनाता है। इस योग से अधिकतर व्यक्ति को मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं। उस व्यक्ति का मानसिक संतुलन सही नहीं होता है। जिस कारण से वह व्यक्ति अनाप-शनाप हरकतें करता है। अपने पैतृक स्थान से उसे दूर जाना पड़ता है। ऐसा व्यक्ति अपनी आमदनी से अधिक व्यय करता है फल स्वरुप वह कर्जे में डूब जाता है। उस व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता है और ससुराल वालों से उसे हमेशा षडयंत्र का खतरा बना रहता है। उसे स्वास्थ से संबंधित समस्याएं समय-समय पर बनी रहती हैं।
One response to “कालसर्प दोष चार्ट”
Guruji mani kalsarp dosh ka niwaran kar diya hai per paresani utani hi hai please aap hi kripa kijyega