ज्योतिष शास्त्र केअनुसार कालसर्प दोष
कालसर्प दोष के उपाय : ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष किसी जातक की कुंडली में राहु एवं केतु की वह स्थिति है जिसमें कुंडली में उपस्थित अन्य ग्रह इन दोनों के बीच में फंस जाते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति के योग को कालसर्प योग कहते हैं।
एवं इस योग के कारण जो दोष उत्पन्न होता है उसे कालसर्प दोष कहते हैं। कालसर्प दोष किसी भी जातक की कुंडली में हो सकता है। कालसर्प दोष ग्रहों की स्थिति के कारण पूर्ण या आंशिक रूप से हो सकता है। राहु एवं केतु गुण एवं अवगुण शनि के समान होते हैं।
यह भी शनि के समान अपना प्रभाव व्यक्ति के जीवन में डालते हैं। यह प्रभाव लाभदायक एवं कष्टकारी दोनों प्रकार से हो सकता है। यह ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।
यह माना जाता है कि कालसर्प योग जो कुंडली में उत्पन्न होता है वह जातक के पूर्व जन्मों के जघन्य अपराधों के दंड या शाप के रूप में उत्पन्न होता है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति एवं राशि के अनुसार यह मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं।
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कालसर्प दोष के जातक के जीवन में दुष्प्रभाव
कुंडली में कालसर्प दोष की स्थिति उत्पन्न होने पर मुख्यतः इस दोष के दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में यह दोष उत्पन्न हो जाता है तो उस जातक के विवाह में रुकावट या अड़चनें आती हैं।
जातक का विवाह नहीं हो पाता है। यदि किसी प्रकार विवाह संपन्न हो जाए तो जातक वैवाहिक सुख को अधिक समय तक नहीं भोग पाता है और उसका वैवाहिक जीवन संकट में आ जाता है।
यदि बाल्यकाल में यह दोष उत्पन्न हो तो जातक को विद्या अध्ययन में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जातक का विद्या अध्ययन किसी न किसी व्यवधान के कारण रुक जाता है।
यह भी देखने को मिलता है किजातक धनाढ्य कुल में जन्म लेने के पश्च्यात भी उसे धन के लिए जीवन भर जूझना पड़ता है। अत्यधिक संघर्ष के पश्चात भी उसे धनकी प्राप्ति नहीं होती है।
कालसर्प दोष से ग्रसित होने के कारण जातक अत्यधिक श्रम करने के पश्चात भी मन वांछित फल प्राप्त नहीं कर पाता है। दिन रात एक कर मेहनत करने के पश्चात भी उसे उसके परिश्रम के अनुरूप फल प्राप्त नहीं होता है।
काल सर्प योग का उपाय
इस दोष के कारण जातकों को संतान सुख की भी प्राप्ति नहीं हो पाती है। यदि संतान प्राप्ति भी होती है तो संतानों में विकार उत्पन्न हो जाता है।
वह शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार रहते हैं। ऐसे जातकों को भी शारीरिक एवं मानसिक विकार की समस्या रहती है। ऐसे जातकों का जीवन सामान्यतः तनाव से ग्रसित होता है और वह चिड़चिडे स्वभाव के हो जाते हैं।
सुख तो ऐसे जातकों से कोसों दूर होता है। परिवार में हमेशा अशांति होती है , हमेशा झगड़े होते रहते हैं। परिवार के सदस्यों पर भूत प्रेत आदि का साया भी पड़ता रहता है। ऐसा महसूस होता है की किसी भी विपत्ति में कोई भी साथ नहीं होता है।
कारोबार में भी किसी प्रकार की सफलता प्राप्त नहीं होती हैऔर हानि पर हानि होती रहती है। यह भी देखने को मिलता है कि जातक को समय-समय पर दुर्घटनाओं का सामना भी करना पड़ता है।
अनेकों बार यह भी देखा गया है कि जातक का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है। जातक के बुरे वक्त में वह लोग भी साथ छोड़ जाते हैं जिन्हें वह हमेशा मदद करता रहा हो।
कालसर्प दोष हेतु उपाय
जैसा कि आप जानते ही हैं कि सर्प भगवान शिव के अत्यधिक प्रिय हैं।जिन्हें भगवान शिव शंकर अपने गले में आभूषणों के समान डाले रहते हैं। यदि भगवान शिव की आराधना की जाए तो कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। आइए अब हम कालसर्प दोष मुक्ति के कुछ उपायों के बारे में बातें करें। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।
आप कालसर्प दोष शांति की पूजा विधि – विधान से त्रंबकेश्वर मंदिर में संपन्न कराएं जिससे आपको कालसर्प दोष से पूर्णतः मुक्ति प्राप्त होती है।इसके अलावा आप कुछ ऐसे सरल उपाय भी कर सकते है जिनसे कालसर्प दोष के प्रभाव को कम या समाप्त भी किया जा सकता है ।
काल सर्प दोष का उपाय
- हर शनिवार को पीपल के पेड़ को जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करें।
- किसी ऐसे शिवलिंग के ऊपर तांबे का नाग चढ़ाएं जिस पर पहले से कोई सांप ना चढ़ाया गया हो। नाग चढ़ाने से पहले नाग का विधिवत पूजन किया जाना चाहिए और उसे इस प्रकार से शिवलिंग के ऊपर लगाएं की वह शिवलिंग को पूर्ण आच्छादित करें।
- रोज भगवान शिव का रुद्राभिषक करें।
- राहु एवं केतु कि प्रत्येक दिन पूजा करें तथा राहु एवं केतु मंत्रों का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- श्रावण मास में प्रतिदिन भगवान शिव को पुष्प एवं जल चढ़ाएं तथा सोलह सोमवार के व्रत करें।
- नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करें।
- महामृत्युंजय जप का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- प्रतिदिन भगवान शिव के आगे सरसों का दीपक जलाकर ओम नमः शिवाय मंत्र का २१००० बार जप करें।
- किसी शिवलिंग पर जोकि नदी किनारे हो रुद्राभिषेक कर तांबे या सोने चांदी के नाग नागिन का जोड़ा बना पूजा करें। तथा नाग नागिन को बहते हुए पानी में छोड़ दें।
- बड़े बुजुर्गों की सेवा कर आशीर्वाद प्राप्त करें इससे भी कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
इस प्रकार कुछ उपाय करके आप कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इस विषय में विशेष जानकारी प्राप्त करने के लिए आप पंडित श्री अंकित जी से संपर्क कर सकते हैं। वह आपके सभी समस्याओं का समाधान अवश्य करेंगे।पंडित अंकित जी से आप अपनी कुंडली भेज कर एकदम निशुल्क जानकारी ले सकते है |पंडित जी आपको आपकी सुविधा एवं कुंडली केअनुसार इस पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे और आपकी राय के अनुसार आपके लिए इस पूजा का त्र्यंबकेश्वर मंदिर में व्यवस्था भी करेंगे |
2 responses to “कालसर्प दोष के उपाय”
पंडितजी सादर चरणस्पर्श!!!
मेरी जन्म पत्रिका देख कर कृप्या मार्ग दर्शन करे।
नाम – आशुतोष कुमार।
जन्म तारीख – 02/MAY/1979.
जन्म समय – 11:44AM.
स्थान – पटना बिहार।
हमारा समय बहुत खराब चल रहा हैं। नौकरी की चिन्ता और डर।
कृप्या मदद करे।
आशुतोष कुमार
8007958060
पुणे।
आशुतोष जी आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है। जिसका निवारण काल सर्प पूजा के माध्यम से हो सकता है। इसके लिए आपको त्र्यंबकेश्वर नाशिक में आकर कालसर्प शांति करवानी होगी। जिसमे २१०० कुल सामग्री सहित खर्च आता है। अधिक जानकर के लिए संपर्क करे +91 8378000068